
ईश्वर और स्वयं की खोज - (भाग-2)
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यह पुस्तक एक अद्वितीय और दुर्लभ कृति है, जो हमें हमारे वास्तविक स्वभाव, मूल प्रकृति और पहचान को समझने में मदद करती है। अनादि काल से हम ईश्वर और स्वयं के सबसे बड़े अज्ञान से ग्रस्त हैं। ईश्वर को जानने और अपनी मूल खोई हुई पहचान और स्वयं को महसूस करने की तुलना में हमारे लिए और कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है।
लेखक वैज्ञानिक और व्यवस्थित रूप से समझाता है कि संपूर्ण ब्रह्मांड निर्माण महान भ्रम, भ्रम और माया के अधीन हैं। अपने परिमित मन और पाँच इंद्रियों के माध्यम से हम जो भी ज्ञान प्राप्त करते हैं, वह पूर्ण सत्य नहीं है, बल्कि ईश्वर द्वारा वांछित एक भ्रामक और गलत दृष्टिकोण है। यहां तक कि विज्ञान भी माया के प्रभाव में हैं। लेखक ‘मैं कौन हूं’ विषय में गहराई से गया है और दिलचस्प रूप से अहंकार‘I’, ज्ञान-सूचना, ईथर (ether), ब्लैक होल (black hole), डार्क मैटर (Dark-matter) और डार्क एनर्जी (Dark-energies), न्यूट्रॉन स्टार (Neutron star)और गैलेक्सी (Galaxy) आदि की व्याख्या की है।
ड्रीम्स (dreams), डीप स्लीप (deap sleap), डेथ एंड आफ्टर डेथ (death & after-death), कॉन्शसनेस (conciousness), माइंड (Mind) और एस्ट्रल बॉडी (astral-body) जैसे सूक्ष्म विषयों को वैज्ञानिक और व्यवस्थित रूप से समझाया गया है। लेखक ने समझाया है, ध्यान की विभिन्न व्यावहारिक तकनीकें, अपने स्वयं के आत्म-प्राप्ति के आसान के तरीके के लिए, और यह जानने के लिए कि ‘मैं कौन हूं’?
यह पुस्तक हमें एक महत्वहीन मानव से, हमारी मूल पहचान का एहसास कराती है कि हम न केवल भगवान के महासागर में एक बूंद हैं, बल्कि 'अहम् ब्रह्मास्मि' या 'दैट आई एम' या 'सो-हम' या 'तत्तम असि' या हम ईश्वर के अंश हैं। यह सभी 'आत्मा खोजकर्ताओं' और भगवान के चाहने वालों के लिए उपयोगी पुस्तक है।
Details
- Publication Date
- Feb 2, 2022
- Language
- Hindi
- ISBN
- 9781678125943
- Category
- Religion & Spirituality
- Copyright
- All Rights Reserved - Standard Copyright License
- Contributors
- By (author): Dharam Vir Mangla, Edited by: Raju Gupta, Edited by: Vibha Gupta
Specifications
- Pages
- 136
- Binding
- Paperback
- Interior Color
- Black & White
- Dimensions
- A5 (5.83 x 8.27 in / 148 x 210 mm)