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विश्वशास्त्र - परिशिष्ट

विश्वशास्त्र - परिशिष्ट

ByLava kush Singh

विश्वमानव प्रकृति प्रदत्त नाम के अलावा जब व्यक्ति को आत्मज्ञान होता है तब वह स्वयं अपने मन स्तर का निर्धारण कर एक नाम स्वयं रख लेता है। जिस प्रकार ”कृष्ण“ नाम है ”योगेश्वर“ मन की अवस्था है, ”गदाधर“ नाम है ”राम कृष्ण परमहंस“ मन की अवस्था है, ”सिद्धार्थ“ नाम है ”बुद्ध“ मन की अवस्था है, ”नरेन्द्र नाथ दत्त“ नाम है ”स्वामी विवेकानन्द“ मन की अवस्था है, ”रजनीश“ नाम है ”ओशो“ मन की अवस्था है। उसी प्रकार “लव कुश सिंह” नाम है ”विश्वमानव“ मन की अवस्था है और उसी प्रकार व्यक्तियों के नाम, नाम है ”भोगेश्वर विश्वमानव“ उसकी चरम विकसित, सर्वोच्च और अन्तिम अवस्था है जहाँ समय की धारा में चलते-चलते मनुष्य वहाँ विवशतावश पहुँचेगा।

Details

Publication Date
Mar 1, 2024
Language
Hindi
Category
Religion & Spirituality
Copyright
All Rights Reserved - Standard Copyright License
Contributors
By (author): Lava kush Singh

Specifications

Format
EPUB

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